रूस के अपने सैनिकों को पीछे हटाने के बाद यूक्रेन के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि रूसी सेना ने उसके क्षेत्रों में युद्ध अपराधों को अंजाम दिया है. हालांकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज़ किया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अभियोजकों और न्यायाधीशों की मदद से इसकी जांच के लिए एक विशेष न्याय तंत्र बनाया जाएगा.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत के दो दिवसीय दौरे पर थे. उन्होंने भारत को तेल, सैन्य साजो-सामान और अन्य वस्तुओं की ज़रूरतों को भी पूरा करने का वादा किया. इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनज़र उस पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए ख़ामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी.
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्य मंत्री के साथ बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह टिप्पणी की. ऐसी रिपोर्ट है कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस से सस्ती दरों पर कच्चे तेल की ख़रीद के लिए मॉस्को की एक भुगतान प्रणाली अपनाने पर विचार कर रहा है.
युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनुपस्थित रहा. यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर भारत इससे पहले सुरक्षा परिषद में दो मौकों और महासभा में एक बार प्रस्तावों पर मतदान के समय अनुपस्थित रहा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बैठक के दौरान कहा कि रूस के आक्रामक रुख के जवाब में भारत के अलावा क्वाड एकजुट है. भारत की स्थिति पुतिन के आक्रमण से निपटने के लिहाज़ से थोड़ी असमंजस वाली है लेकिन क्वाड देशों का हिस्सा, जापान और ऑस्ट्रेलिया अत्यधिक मजबूत हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को ‘यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम’ में अपने संबोधन में कहा कि अधिकारियों ने म्यांमार की सेना द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ व्यापक और चरणबद्ध अभियान के तहत आम नागरिकों पर बड़े पैमाने पर अत्याचार के पुष्ट आंकड़ों के आधार पर इसे ‘नरसंहार’ बताया है.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बीते 16 मार्च रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध रोके. अदालत के आदेश का 13 न्यायाधीशों ने समर्थन किया था, जबकि दो ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया था. भारत से न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया था.
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के दबाव के बीच एशिया के दो प्रतिद्वंद्वी देश- चीन और भारत अपने तमाम मतभेदों के बावजूद रूस को लेकर समान रवैया अख़्तियार किए हुए हैं.
अफ़सोस की बात है कि भारत के पास ऐसी समस्या के समाधान के लिए रचनात्मक प्रस्ताव देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, जिस पर वह स्पष्ट रुख़ लेने को भी अनिच्छुक है.
भारत को ख़ुद को ऊर्जा बाज़ार में लंबे व्यवधान और मुद्रा की कमज़ोरी का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इनका आर्थिक विकास, आजीविका और रोज़गार पर गंभीर असर होगा.
यूक्रेन के कई शहरों में रूसी सेना द्वारा घेराबंदी के चलते नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित निकासी मार्ग स्थापित करने के प्रयास विफल रहे हैं. ब्रिटेन की संसद में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के संबोधन के बाद ब्रिटिश सरकार ने एक नए क़ानून की घोषणा की जिसके तहत किसी भी रूसी विमान के लिए ब्रिटेन में उड़ान भरने या उतरने को अपराध माना जाएगा.
क्या वे छात्र संस्कारहीन हैं जो हवाई अड्डे पर छवि निर्माण को तैनात मंत्रियों की अनदेखी करते निकले जा रहे थे? क्या वह छात्र बदतमीज़ है जिसने मंत्री द्वारा दिया फूल परे पटक दिया और पूछा कि यह किस काम का? क्या वे छात्र इनसे अधिक सभ्य हैं जो अपने होठों पर मुस्कान चिपकाकर भाजपा नेताओं का झूठ सुनते रहे? जिन्होंने बाहर निकलकर कहा कि वे मजबूर थे क्योंकि उन्हें नेता के सामने सिर्फ पॉज़िटिव बात करने को कहा गया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के दौरान सुरक्षित निकासी की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिकों के लिए मानवीय गलियारों के विस्तार और रेड क्रॉस से अधिक सहयोग का आह्वान किया है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि सूमी शहर से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया गया है और वे सभी बसों के ज़रिये पोलतावा शहर के लिए रवाना हो गए हैं.
रूस ने यूक्रेनी नागरिकों की निकासी के लिए राजधानी कीव, दक्षिणी बंदरगाह शहर मारियुपोल, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव और सूमी में संघर्ष विराम के साथ मानवीय गलियारों को खोलने की घोषणा की है. इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अगर कीव 'शत्रुतापूर्ण कार्रवाई' बंद कर दें तो मॉस्को के हमलों को रोका जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा कि दुनिया भर में मानवता की रक्षा के लिए देश का, यानी उसकी सरकार का, मज़बूत होना ज़रूरी है. लेकिन अपनी जिस सरकार को समर्थ व मज़बूत मानकर वे यह बात कर रहे थे, वह मानवता की तो क्या, अपने छात्रों की रक्षा भी नहीं कर पा रही.