यह साल चुनावों का साल रहा, लेकिन चुनावी रैलियों से मणिपुर की हिंसा गायब रही. बस्तर में मुठभेड़ होते रहे लेकिन दिल्ली बैठी आवाज़ें ख़ामोश रहीं. अन्य देशों में भी यह साल युद्ध के दलदल में फंसा रहा. युद्ध पीड़ितों को खाना देने वाले संस्थाओं तक पर इस्रायल ने हमला किया.
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19 वर्षीय युवक गुजरात के अहमदाबाद शहर में फल की दुकान चलाता था. उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में एक महीने के भीतर क़रीब सात से आठ लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं.
चेन्नई के चेपॉक से डीएमके विधायक जे. अनबझगन का निधन उनके 62वें जन्मदिन पर हुआ. अस्पताल ने बताया कि कोविड-19 के कारण उन्हें निमोनिया हो गया था.
जब सरकार ने दोबारा विमान सेवाएं शुरू कीं, तब एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और क्वारंटीन सेंटर में रखने जैसी बातें व्यावहारिक नहीं लगतीं. हैरानी वाली बात है कि जो बात विमान के यात्रियों के लिए व्यावहारिक नहीं लग रही, वो मज़दूरों के लिए अति आवश्यक कैसे बन गई थी.
बीते दिनों मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक बुज़ुर्ग मरीज़ को अस्पताल के बेड पर रस्सियों से बांधने का वीडियो सामने आया था. मरीज़ की बेटी ने बताया कि बढ़ते बिल को देखकर जब उन्होंने अपने पिता को डिस्चार्ज करने को कहा तब अस्पताल ने बिना पैसे चुकाए ऐसा करने से मना कर दिया. जांच में यह बात सही पाए जाने के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.
झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा आयोजित एक वेबिनार में राज्य के विभिन्न मजदूरों ने लॉकडाउन के दौरान उन्हें हुई पीड़ा का अनुभव साझा किया. श्रमिकों की मांग है कि सरकार उनके लिए उचित राशन और पैसे की व्यवस्था करे.
बीते सप्ताह बिहार सरकार ने 15 जून के बाद से सभी प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर्स को बंद करने का आदेश दिया है. दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लिए गए सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन सेंटर्स की फंड संबंधी गड़बड़ियों के चलते यह निर्णय लिया गया है.