कभी-कभार | अशोक वाजपेयी : कलाविद् शनय झावेरी के 'भारत का कल्पना-संस्थान’ नाम के संचयन से स्पष्ट होता है कि हमारी समकालीन कला में रंगबोध, संयोजन, दृष्टि, शैली, सामग्री आदि की अपार और अदम्य बहुलता है.