एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार लोगों में से एक सुधीर धवले 2,424 दिनों की कैद के बाद रिहा होने वाले नौवें व्यक्ति हैं. पिछले डेढ़ दशक में कांग्रेस-भाजपा, दोनों सरकारों में 10 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद धवले कहते हैं कि दोनों के शासन में बहुत अंतर नहीं है. दोनों ने हर तरह की असहमति को बहुत हिंसक तरीके से दबाया है.
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,30,09,390 हो गई है और इस महामारी के कारण जान गंवा चुके लोगों का आंकड़ा 5,16,510 पहुंच गया है. विश्व में संक्रमण के मामले 47 करोड़ के पार हो गए हैं और अब तक 60.77 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले भारतीय टीम के बड़े चेहरों के सुर्ख़ियां बनाने वाले रिटायरमेंट के उलट कम चर्चित, मगर प्रतिभावान खिलाड़ी अक्सर मीडिया की चकाचौंध से दूर मैदान को अलविदा कह देते हैं. अपने हुनर और अनुभव के बावजूद उनको कई बार बेहद संघर्षपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में 40 प्रतिशत के उछाल के बाद यह क़दम उठाया गया है. हालांकि, पेट्रोल पंपों के ज़रिये बेचे जाने वाले डीज़ल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
मौत के ये मामले भागलपुर और मधेपुरा ज़िलों में सामने आए हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 20 से 30 बताई जा रही है. बिहार में अप्रैल 2016 से शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा हुआ है. हालांकि इस पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर ज़हरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में शिक्षा की मैकाले व्यवस्था को पूरी तरह से ख़ारिज करने का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा के भगवाकरण को लेकर इतना हंगामा क्यों है. उन्होंने भारतीयों से औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और भारतीय पहचान को लेकर गौरवान्वित होने को कहा है.
कश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है.