अदालत ने फैसला सुनाया कि यौन हिंसा और एसिड हमलों में ‘जीवित बचे मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा, प्रयोगशाला परीक्षण और सर्जरी सहित मुफ्त चिकित्सा उपचार प्रदान किए बिना वापस नहीं भेजा जाएगा.’