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द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
गुजरात हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उन मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था जिनमें परिसर में एक छात्रा से बलात्कार और एक समलैंगिक छात्र के यौन उत्पीड़न के बारे में बताया गया था. हाईकोर्ट ने घटनाओं के लिए संस्थान को दोषी ठहराते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की आवाज़ दबाने में शामिल था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को पुलिसकर्मियों के एक आवासीय परिसर का उद्घाटन किया था. पुलिस का कहना है कि एक चैनल के साथ काम करने वाले ग़ाज़ियाबाद के पत्रकार ने सोशल मीडिया पर उक्त परिसर की तस्वीर के बजाय अन्य निर्माणाधीन इमारत की तस्वीर डाली, जो सरकार और ग़ाज़ियाबाद पुलिस को बदनाम करने का प्रयास था.
शीर्ष अदालत उस मामले में फैसला दे रही थीं, जहां एक व्यक्ति पर साल 1993 में उनकी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था. कोर्ट ने निचली अदालतों को ऐसे मामलों में पति और उसके रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ क़ानूनी निष्कर्ष निकालने के प्रति आगाह किया, जहां किसी महिला ने शादी के सात साल के भीतर आत्महत्या की हो.
केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने केंद्र से शिकायत करते हुए कहा है कि ख़ुद केंद्रीय मंत्रालय के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों ने पतंजलि आयुर्वेद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है.
आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएसआर वर्मा ने हैदराबाद पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि उनके साथ फ्रॉड करने वालों ने दावा किया था कि वे उस धन से चुनावी बॉन्ड खरीदेंगे और बदले में उन्हें और उनके पोते-पोतियों को अमेरिका में अच्छी तरह सेटल करेंगे.
रामपुर के मिलक कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का मामला. बताया गया है कि गांव में एक सरकारी भूखंड पर बीआर आंबेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड लगाने को लेकर हुई झड़प में 17 वर्षीय दलित युवक की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए. रामपुर डीएम ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति देने वाले जज अजय कृष्ण विश्वेश को सेवानिवृत्ति के बाद लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में तीन साल के लिए लोकपाल नियुक्त किया गया है.
सर्वथा खगोलीय कारणों से किए गए लीप ईयर के निर्धारण से विभिन्न देशों में समय के साथ अनेक रोचक सामाजिक व सांस्कृतिक मान्यताएं भी जुड़ीं. कहीं लीप ईयर को उल्लास का अवसर मानकर उसकी ख़ुशी मनाने के लिए सार्वजनिक छुट्टी की मांग की जाती है तो कहीं इसे अशुभ क़रार दिया जाता है.