पुस्तक अंश: आज जनतंत्र के आवरण में जो कुछ हो रहा है, वह केवल सत्ता के लिए नहीं है, वह नागरिकों के जीवन के हर पहलू पर राज्य के नियंत्रण के लिए है. राज्य यह तय कर रहा है कि आपको क्या खाना है, क्या पहनना है, क्या पढ़ना-लिखना है, किस देवता की उपासना करनी है, आप किससे प्यार कर सकते हैं, किससे शादी कर सकते हैं. यह तानाशाही से भी आगे की अवस्था है.
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बीते 27 जून को मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ पर लग रहे विदेशी फंड प्राप्त करने के आरोपों के बीच संस्थान ने एक बयान जारी करके इसका खंडन किया है. धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद ये आरोप लगाए गए हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने कहा है कि ये आरोप हमारे द्वारा किए जा रहे बेहद महत्वपूर्ण कार्य को बंद कराने का प्रयास है. हम हमें रोकने के इस प्रयास के ख़िलाफ़
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने रविवार को अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया था. इस मामले को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इस बीच अजीत पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नए नेता घोषित किए गए हैं.
पिछले पांच वर्षों में जीएसटी क़ानून निश्चित रूप से बदलाव हुए हैं और समय-समय पर संशोधनों के ज़रिये करदाताओं के सामने आने वाले कई मुद्दे स्पष्ट हुए हैं. लेकिन अब भी कई ऐसे मसले बाक़ी हैं जो जीएसटी व्यवस्था के अमल को प्रभावित करते हैं.
संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात सरकार द्वारा कही गई है.
घटना मध्य प्रदेश गुना ज़िले के बमोरी थाना क्षेत्र की है. आरोप है कि आरोपियों ने पीड़ित महिला के परिवार की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर रखा था, जिसे तहसीलदार बमोरी ने मई में ही मुक्त कराकर इस महिला के परिवार को सौंप दिया था. बीते दो जुलाई को महिला इसी खेत में गई हुई थीं, तभी आरोपी पक्ष के लोगों ने उनको खेत में ही जला दिया.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज फ़र्ज़ी मामले वापस लिए गए हैं.
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