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भारत में कोरोना वायरस के बीते 24 घंटे के दौरान 18,732 नए मामले सामने आए हैं और 279 लोगों की मौत हुई है. जून के बाद पहली बार बीते 24 घंटे के दौरान 20 हज़ार से कम मामले सामने आए हैं. विश्व में 17.57 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंडियों में लगने वाले इस तरह के टैक्स को सही ठहराया था और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसका समर्थन भी किया था. मंत्रालय ने कहा था कि मंडियों में मिलने वाली सेवाओं के लिए ये राशि वसूली जाती है.
मामला केरल के पलक्कड़ ज़िले का है. पुलिस के अनुसार, 22 वर्षीय अनीश और 19 वर्षीय हरिता ने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ सितंबर में शादी की थी, जिसके बाद हरिता के परिवार ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी.
पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट ने बीते 24 दिसंबर को अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए ब्रिटिश मूल के अल-कायदा नेता अहमद उमर सईद शेख तथा उसके तीन सहयोगियों को रिहा करने का आदेश दिया था. पर्ल को 2002 में कराची से अगवा कर उनकी हत्या कर दी गई थी.
यूपी के बिजनौर ज़िले की घटना. 14 दिसंबर को नाबालिग दलित लड़की एक दोस्त के साथ रात में अपने एक अन्य दोस्त की जन्मदिन पार्टी से पैदल घर लौट रही थी कि कुछ लोगों ने कथित तौर पर इन दोनों का पीछा किया और इनकी डंडों से पिटाई की.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 10,169,118 हो गई है और अब तक यह महामारी 147,343 लोगों की जान ले चुकी है. विश्व में संक्रमण के 7.98 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और 17.50 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
बीते रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने को मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर रिट याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद ओली नीत सरकार को इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले की घटना. पुलिस ने बताया कि यह मामला पिछले दो महीनों से चल रहा है. पुलिस कई बार मामले को सुलझा चुकी है और फ़िलहाल मामले की जांच जारी है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में इसे हरी झंडी दी गई. विधेयक में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर कम से कम पांच साल और अधिकतम दस साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इस अधिनियम के तहत दर्ज मामले ग़ैर-ज़मानती होंगे.