दुनिया के 665 विश्वविद्यालयों के नेटवर्क 'स्कॉलर्स एट रिस्क' की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छात्रों और स्कॉलर्स की शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिए सबसे गंभीर ख़तरों में सत्तारूढ़ भाजपा का राजनीतिक नियंत्रण और राष्ट्रवादी एजेंडा थोपने की कोशिश शामिल हैं.