भारतीय राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) का कहना है कि दवा निर्माताओं ने कुछ कारणों का हवाला देते हुए दामों में संशोधन की मांग की थी, जिसके चलते उसने व्यापक जनहित में दवाइयों की क़ीमतें बढ़ाई हैं.