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बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की गुजरात सरकार द्वारा सज़ा माफ़ी और रिहाई को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे कुछ महिलाएं हैं जो बिलक़ीस को न्याय दिलाने के लिए आगे आईं.
घटना भागलपुर ज़िले के एक गांव की है. 2021 में चांदनी और चंदन कुमार सिंह ने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ विवाह कर लिया था. मंगलवार को दोनों अपनी एक साल की बेटी को लेकर चंदन के परिवार से मिलकर लौट रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. पुलिस के अनुसार, हमला लड़की के पिता और भाई ने किया था.
22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए अयोध्या न जाने की पुष्टि करने वाले शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि आम चुनावों के कारण आयोजन को इतना शानदार बनाया जा रहा है और इसे राजनीतिक शो में तब्दील कर दिया गया है.
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में केंद्र सरकार की कथित भागीदारी पर चिंता जताते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसे आगामी चुनावों को अनुचित रूप से प्रभावित करने का प्रयास बताया. जमीयत ने अल्पसंख्यक समुदाय को परेशान करने और डराने-धमकाने की कोशिशों पर भी चिंता व्यक्त की है.
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कई विचारधाराओं के लोगों ने अपने-अपने तरीकों से मोर्चा लिया था. इनमें कई गुमनाम बने रहे, पर जिनके बारे में कुछ जानकारियां भीं थीं, उन पर भी बहुत कुछ नहीं लिखा जा सका. स्वामी अभयानंद भी उन्हीं में से एक थे.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
यूपी भाजपा ने बीते हफ्ते सचिन अहलावत को बुलंदशहर में पार्टी का मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया है. अहलावत दिसंबर 2018 में कथित गोकशी को लेकर बुलंदशहर के स्याना में भड़की हिंसा के मामले में आरोपी हैं. इस हिंसा में यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या हुई थी.
विपक्ष के इंडिया गठबंधन की ओर से ईवीएम और वीवीपैट को लेकर चुनाव आयोग को एक और पत्र लिखकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह सभी पार्टियों के लिए ‘गंभीर चिंता’ का विषय है. विपक्ष आयोग से ईवीएम पर अपने संदेहों पर चर्चा और वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की ‘100% गिनती’ करने की मांग लगातार कर रहा है.
बीते सोमवार को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहा करने का हक़ नहीं है. अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था.