लोकसभा चुनाव 2024
→लोकप्रिय
वीडियो
→भारत
→सभी ख़बरें
वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 15 जुलाई को वाराणसी में महामारी के दौरान भाजपा शासित राज्य के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश ने कोविड-19 की दूसरी लहर को संभाला और संक्रमण के प्रसार की जांच की, वह अभूतपूर्व था. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी से चर्चा की.
क्लब, क्राइम, कैबरे का यह फॉर्मूला 1970 के दशक की फिल्मों तक बेहद लोकप्रिय बना रहा.
फादर स्टेन स्वामी की हिरासत, ख़ारिज होती ज़मानत, बुनियादी ज़रूरतों के लिए अदालत में अर्ज़ियां लगाना और अंत में अपनों से दूर एक अनजान शहर में उनका गुज़र जाना यह एहसास दिलाता है कि उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप तय किए बिना और उन पर कोई मुक़दमा चलाए बगैर उन्हें सज़ा-ए-मौत मुक़र्रर कर दी गई.
विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीनों पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रस्तावित जनसंख्या क़ानून को ज़रूरी बताते हुए कहा कि बढ़ती आबादी प्रदेश के विकास में बाधा बनी हुई है. पर क्या यह बाधा अचानक आ खड़ी हुई? अगर नहीं, तो इसे लेकर तब उपयुक्त कदम क्यों नहीं उठाए गए, जब उनकी सरकार के पास उसे आगे बढ़ाने का समय था?
नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को पूर्व भाजपा नेता और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नाम को देश के प्रतिष्ठित थिंक-टैंक में से एक रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में जोड़ने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया. हालांकि कुछ समय पहले ही संस्थान के पूर्व निदेशक समेत कई सदस्यों ने इस कदम का विरोध किया था.
जनवरी 2020 में सीएए के ख़िलाफ़ जामिया मिलिया इस्लामिया के पास प्रदर्शन कर रहे समूह पर गोली चलाने वाले नाबालिग युवक को अब हरियाणा के पटौदी में हुई एक महापंचायत में सांप्रदायिक भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. स्थानीय अदालत ने युवक को ज़मानत देने से मना करते हुए कहा कि नफ़रती भाषण देना फैशन बन गया है.
अमेरिका में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन सांसदों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए आरोप लगाया कि सरकार सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही और बोलने की आज़ादी के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है. अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ धार्मिक आधार पर भेदभाव को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि बढ़ता राष्ट्रवाद लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए ख़तरा है. हालांकि भारत सरकार और अनेक भारतीय संगठनों ने इन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बात पूरी तरह से साफ़ है कि हम कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश सरकार को 100 फ़ीसदी उपस्थिति के साथ कांवड़ यात्रा आयोजित करने की अनुमति नहीं दे सकते. हम सभी भारत के नागरिक हैं. यह स्वतः संज्ञान मामला इसलिए लिया गया है, क्योंकि अनुच्छेद 21 हम सभी पर लागू होता है. यह हम सभी की सुरक्षा के लिए है.
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी का जवाब देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में उथल-पुथल से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश पाकिस्तान है. उन्होंने कहा कि वह ग़नी की टिप्पणियों से मायूस हैं और तालिबान को बातचीत की मेज पर लाने के लिए पाकिस्तान ने जितनी कोशिशें की हैं, उतनी किसी भी मुल्क ने नहीं की हैं.