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तमिलनाडु के धर्मपुरी ज़िले के आदिवासी गांव वाचथी में 20 जून 1992 को वन और पुलिस विभाग के अधिकारियों ने तस्करी के चंदन की लकड़ी की तलाश में छापा मारा था. इस दौरान ग्रामीणों पर अत्याचार करने के अलावा 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था. मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपियों के दोषी ठहराने के सत्र अदालत के फैसले का बरक़रार रखा है.
बसपा सांसद दानिश अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के निंदनीय आचरण पर जल्द से जल्द जवाबदेही तय कर उन्हें उचित सज़ा दी जानी चाहिए, ताकि कोई भी सदन में ऐसा कृत्य दोबारा न कर सके. उन्होंने पीएम से बिधूड़ी के व्यवहार की निंदा करते हुए सार्वजनिक बयान देने का भी आग्रह किया है.
मनोज झा के एक वक्तव्य पर जिस प्रकार की हिंसक प्रतिक्रिया हुई है, उससे वर्चस्वशाली समुदाय के हिंसक स्वभाव को समझा जा सकता है.
भाजपा सांसद मेनका गांधी ने हाल ही में एक वीडियो में आरोप लगाया था कि इस्कॉन देश का सबसे बड़ा धोखेबाज़ संगठन है, जो अपनी गोशालाओं से गायों को कसाइयों को बेच देता है. संगठन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि हमने इस्कॉन के ख़िलाफ़ पूरी तरह से निराधार आरोप लगाने के लिए मेनका गांधी को 100 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेजा है.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि जब्बूपुर सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक ने कथित तौर पर अपने रुके हुए वेतन की मांग करने पर अपमानित किए जाने के कारण आत्महत्या कर ली. इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर ब्लॉक शिक्षा कार्यालय के एक क्लर्क और स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया है.
वीडियो: पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर से उनकी हालिया किताब ‘सम्पूर्ण दलित आंदोलन पसमांदा तसव्वुर’ के विशेष संदर्भ में देश की पसमांदा राजनीति, 2024 के लोकसभा चुनाव पर इसके प्रभाव और एससी कोटा में मुसलमानों को शामिल किए जाने को लेकर बातचीत.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
गुजरात राज्य विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यह बड़ी सार्वजनिक चिंता का विषय है कि गुजरात में हिरासत में मौत की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. यह स्वीकार करने की ज़रूरत है कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह बड़े पैमाने पर उठाया जा रहा है, क्योंकि कई पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि श्रीनगर में भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स से जुड़े फ़र्ज़ी सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिये उनका नैरेटिव फैलाया गया और कश्मीरी पत्रकारों को निशाना बनाया गया. भारत में फेसबुक के अधिकारियों को मेटा नियमों के इस उल्लंघन की जानकारी होने के बावजूद सरकारी कार्रवाई के डर से उन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया.