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मुंबई के कांदिवली स्थित ठाकुर कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बेटे ध्रुव गोयल मतदान जागरुकता संबंधित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. छात्रों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आईडी जब्त कर लीं.
एनसीईआरटी ने महामारी के चलते पढ़ाई का बोझ कम करने का हवाला देते हुए स्कूली पाठ्यक्रम को लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया था. शिक्षाविदों का कहना है कि यह पाठ्यक्रम छात्रों को एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है.
देश की सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना की वेबसाइट के दो महीने से बंद होने को लेकर इसके संचालन के लिए ज़िम्मेदार ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 'तकनीकी' कारणों का हवाला दिया है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया. उनकी विचारधारा एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से प्रेरित है.
यह शायद पहली बार था जब कश्मीर के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान में सेना सीधे तौर पर किसी राजनीतिक विषय पर कोई कार्यक्रम प्रायोजित कर रही थी.
वर्ल्ड इनक्वॉलिटी डेटाबेस में बताया गया है कि 1922 में भारत के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की कुल आय में हिस्सेदारी 13% थी, जो 1940 में बढ़कर 20% हो गई. 2022-23 आते-आते शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास भारत की कुल आय का 22.6 प्रतिशत हिस्सा और कुल संपत्ति का 40.01 प्रतिशत हिस्सा है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मुक्तिबोध साहित्य और जीवन संबंधी अपने विचार और स्थापनाएं रोज़मर्रा की ज़िंदगी में रसे-बसे रहकर ही व्यक्त और विकसित करते थे. ऐसे रोज़मर्रा के जीवन के कितने ही चित्र, प्रसंग और छवियां उनकी कविताओं और विचारों में गहरे अंकित हैं.
सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों ने सामूहिक तौर से पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर 628 करोड़ रुपये दिए हैं. भारती एयरटेल ने सबसे ज़्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
बीते फरवरी में मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए कई विस्फोटों में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 174 अन्य घायल हुए थे. राज्य सरकार की जांच समिति ने पाया कि यह एक ‘मानव निर्मित’ त्रासदी थी और ज़िला प्रशासन ने कई चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था.