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आईएएस अधिकारी ज्योति कलश ने साल 2018 में आरटीआई आवेदन दायर कर उच्च पेंशन लाभ के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों के पैनल के लिए ‘कट-ऑफ स्कोर’ की जानकारी मांगी थी. उन्होंने मनोनयन के लिए तैयार किए गए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी थी.
इरफ़ान हबीब, आदित्य मुखर्जी और पंकज झा जैसे प्रमुख इतिहासकारों ने यूजीसी द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इसे इतिहास को 'विकृत करने' का प्रयास कहा है, साथ ही एक विषय के तौर पर इतिहास का महत्व कम करने का आरोप लगाया है.
असम के दरांग ज़िले के सिपाझार में 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि परियोजना के लिए अधिग्रहीत ज़मीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई, जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए थे.
शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने कहा कि भारत को औपनिवेशिक युग के क़ानूनों और उनकी व्याख्या के कारण 70 साल से अधिक समय तक प्रभावित होना पड़ा है. बड़ी संख्या में क़ानून, बड़ी संख्या में व्याख्याओं पर फ़िर से ग़ौर करने की ज़रूरत है.
वीडियो: केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के तहत किसान संगठनों ने बीते 27 सितंबर को देशव्यापी भारत बंद का आयोजन किया था. इसे लेकर स्वतंत्र कृषि-नीति विश्लेषक इंद्र शेखर सिंह से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बातचीत की.
वीडियो: कृषि क़ानूनों के खि़लाफ़ बीते 27 सितंबर को भारत बंद के दौरान राजस्थान-हरियाणा सीमा पर स्थित शाहजहांपुर में मौजूद किसानों से द वायर के इंद्र शेखर सिंह ने आंदोलन की चुनौतियों और बाधाओं पर बातचीत की.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,36,97,581 हो गई है और इस महामारी से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 4,47,373 हो गया है. दुनिया में संक्रमण के कुल मामले 23.23 करोड़ से अधिक हो गए हैं और अब तक 47.56 लाख से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे आदेशों को न्यायालय की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया जाना चाहिए और इन शर्तों का पालन न करना अदालत की अवमानना होगी. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी भी फ़ैसले को सार्वजनिक किया जाना है तो पहले उसके लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होगी.