डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे 104 भारतीयों को अमानवीय हालत में वापस भेजे जाने के मुद्दे पर संसद में भी गुरुवार (6 फरवरी) को हंगामा देखने को मिला. विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया.
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इतिहासकार एवं लेखक रामचंद्र गुहा ने के एक कार्यक्रम में कहा कि गांधी अपने जीवनकाल में सभी के थे, जीवन के बाद वह किसी के नहीं हैं. गांधी पहचान की राजनीति से परे हैं. वह एक सार्वभौमिक हस्ती हैं. दुनिया के कई हिस्सों में उन्हें मान्यता एवं स्वीकार्यता हासिल है.
विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने मासिक राहत राशि बढ़ाने और समुदाय के बेरोज़गार युवाओं को सरकारी नौकरियां देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर अपनी बस्ती के बाहर प्रदर्शन किया. उनकी मांग है कि सरकार को मासिक राहत राशि 13,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करना चाहिए.
उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में छात्रों का सिर मुंडाए और पीछे बंधे हुए हाथ के साथ एक कतार में चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ है, जिसे कथित तौर पर वरिष्ठ छात्रों द्वारा की गई रैगिंग बताया जा रहा है. प्रिंसिपल ने कहा कि अगर यह साबित हो जाता है कि कैंपस में रैगिंग हुई थी तो ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
जम्मू कश्मीर के शोपियां की एक अदालत से ज़मानत मिलने के कुछ घंटे बाद समाचार पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया. उन्हें बीते शनिवार को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. शाह को आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और राज्य के लोगों को भड़काने के आरोप में बीते चार फरवरी को गिरफ़्तार किया गया था.
भारत में बीते एक दिन में कोविड-19 के 4,362 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,29,67,315 हो गई है और इस अवधि में 66 और लोगों की मौत के बाद मृतकों का आंकड़ा 5,15,102 पहुंच गया है. विश्व में संक्रमण के कुल मामले 44.62 करोड़ से अधिक हो गए हैं.
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के चार बड़े अस्पतालों- सफ़दरजंग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल में जनवरी 2015 से जुलाई 2021 के बीच 3.46 लाख से अधिक बच्चे पैदा हुए, जिनमें से 5,724 बच्चों की मौत हो गई. इनमें से चार हज़ार से ज्यादा बच्चों की जान सिर्फ़ सफ़दरजंग अस्पताल में ही गई है.
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