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17 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सभी मंत्रालयों को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे देश के सभी ज़िलों से ऐसे सरकारी अधिकारियों के नाम दें, जिन्हें मोदी सरकार की 'पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को दिखाने/जश्न मनाने' के एक अभियान के लिए 'जिला रथ प्रभारी (विशेष अधिकारी)' के तौर पर तैनात किया जाए.
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने एक कार्यक्रम के दौरान उन अटकलों को ख़ारिज कर दिया कि राज्य में दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतें कोविड-19 के कारण हो रही हैं. उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन और विश्लेषण कराए जाने की ज़रूरत है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 घंटे के दौरान एंबुलेंस सेवा के लिए 500 से अधिक कॉल की गईं और सरकार ने अलर्ट जारी किया है. साथ ही गरबा आयोजकों से सभी आवश्यक उपाय करने को कहा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लोगों को अस्वस्थ महसूस होने पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हैं.
सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात गावते अक्षय लक्ष्मण पहले अग्निवीर हैं, जिनकी ड्यूटी के दौरान मौत हुई है. अक्षय लक्ष्मण की मृत्यु अग्निवीर अमृतपाल सिंह की जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में आत्महत्या से मृत्यु के कुछ दिनों बाद हुई है. सिंह ने ड्यूटी के दौरान ख़ुद को गोली मार ली थी.
सच यह है कि गोलवलकर की कथनी का तरीका भले ही अप्रचलित हो गया हो, पर उनका एजेंडा आज भी सामाजिक परिदृश्य पर हावी है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर ऐसे कई मामले हैं, जहां केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ख़ुद को ‘सीबीआई’ के बजाय ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रस्तुत किया है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सीबीआई का काम एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की अवैधताओं की जांच करना है. आप संघ या गणतंत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं.
दुनिया भर के 1300 से अधिक लेखकों और प्रकाशकों ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें ख्याति प्राप्त फिलीस्तीनी लेखक अदानिया शिबली समेत अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि कई यूरोपीय देशों में फिलिस्तीनी कला, आवाज़ और कहानियों को आगे लाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है.
नवाज़ शरीफ़ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान 2017 में हटा दिया गया था और 2018 में भ्रष्टाचार के कई आरोपों में सात साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी. 2019 में उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया और इलाज कराने की अनुमति दी गई थी.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरकारी प्राइमरी स्कूल में कुछ छात्रों को ‘प्रार्थना क्षेत्र’ में नमाज़ अदा करते हुए देखा जा सकता है. इसके विरोध में एक हिंदूवादी संगठन ने प्रदर्शन किया था. मामले में दो शिक्षकों के ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.