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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.
1781 में बनारस के राजा चेत सिंह की सेना व प्रजा दोनों ने एकजुट होकर अत्याचारी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ ऐसी बगावत की थी, जिसमें उनके गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को मुंह छुपाकर भाग जाना पड़ा था. ‘बनारस विद्रोह’ के नाम से जानी जाने वाली उस क्रांति को इतिहास में जगह देने में इतिहासकारों ने बहुत कंजूसी की है.
वीडियो: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेताओं द्वारा राज्य के संदेशखाली में महिला ग्रामीणों के यौन शोषण के आरोपों पर वहां के आम लोगों से बातचीत.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के चलते एफआईआर दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू कश्मीर की स्थिति में किए गए बदलाव की आलोचना करने का हक़ है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2022-23 में छह राष्ट्रीय दलों द्वारा आय के रूप में घोषित 3,076.88 करोड़ रुपये में से 59% से अधिक अज्ञात स्रोतों से आया था. इसमें से चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय का हिस्सा 1,510.61 करोड़ रुपये या 82.42% था. इसका बड़ा हिस्सा भाजपा को मिला.
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) द्वारा जारी रिपोर्ट में पाया गया है कि 2022 और 2023 में अदालत के आदेशों के कारण लगभग 3 लाख लोगों को बेदखल किया गया. 2022 में अदालती आदेशों के चलते 33,360 से अधिक लोगों को बेदखल करना पड़ा, जबकि 2023 में यह आंकड़ा लगभग 2.6 लाख तक पहुंच गया.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ओम शंकर का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में उनके विभाग में मरीज़ों की आमद में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. उनका दावा है कि क़रीब दो साल में 30 हज़ार रोगी बेड न मिलने की वजह से बिना इलाज के लौट गए.
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में एक सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ एक वॉट्सऐप ग्रुप में कथित आपत्तिजनक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप में संदेश फॉरवर्ड करना नियम 3 के किसी भी प्रावधान के दायरे में नहीं आता.