लोकसभा चुनाव 2024
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वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के विश्लेषण के अनुसार, बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने 2019 में 58.25 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जो 2024 में बढ़कर 1.24 करोड़ रुपये हो गई. वहीं, दार्जिलिंग के मौजूदा भाजपा सांसद और उम्मीदवार राजू बिस्ता की संपत्ति में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से 215 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
चुनाव आयोग ने 2 और 3 अप्रैल को एक्स को जारी आदेश में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए कुछ पोस्ट्स को हटाने को कहा था. इनमें वाईएसआर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एन. चंद्रबाबू नायडू और भाजपा नेता व बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पोस्ट शामिल हैं.
वीडियो: सिक्किम में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हैं, जहां सत्तारूढ़ एसकेएम दोबारा जीत की उम्मीद में है लेकिन विपक्षी एसडीएफ से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. वहीं,मेघालय और त्रिपुरा की दो-दो लोकसभा सीटों पर भी रोचक मुक़ाबला देखने को मिल रहा है. तीनों राज्यों की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
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एक आरटीआई आवेदन पर गृह मंत्रालय ने यह जवाब दिया है. आवेदन में सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले लोगों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी.
उत्तराखंड के चमोली ज़िले के कई गांवों के लोगों ने क्षेत्र में सड़कों की कमी के कारण चिकित्सा सुविधाएं मिलने में देरी को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है.
दक्षिण कश्मीर के शोपियां के निवासी ज़फ़र अहमद पर्रे पर पिछले साल पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था और उन्होंने अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती दी थी. अदालत ने इस मामले पर सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश, जो क़ानूनसे चलता है, में पुलिस और मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए बिना उसे उठाकर पूछताछ नहीं कर सकते.
इस संबंध में आयोजकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जब रजिस्ट्रार से कार्यक्रम को अचानक रद्द करने का कारण पूछा गया, तो उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं दिया गया. जबकि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन से पूर्व में ही लिखित अनुमति ले ली गई थी, और उस कक्ष में कोई अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तावित नहीं था.
ग्यारह महीनों से जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में कुकी नेशनल असेंबली ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर भारत में पीड़ा सहना हमारा अधिकार माना जा रहा है, तो हम संसदीय चुनावों में भाग न लेने का विकल्प चुनते हैं. इससे पहले भी कई कुकी-ज़ो समूहों ने लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान कर चुके हैं.