लोकसभा चुनाव 2024
→लोकप्रिय
वीडियो
→भारत
→सभी ख़बरें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने ब्रिटिश कालीन भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा अध्यादेश, 1943 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसमें ‘नर्सिंग अधिकारियों’ के कैडर में महिलाओं के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था. हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि इस अध्यादेश के तहत पिछले कुछ दशकों में की गईं नियुक्तियां उसके इस आदेश से प्रभावित नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में गैंगस्टर एक्ट मामले में बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफ़ज़ल अंसारी की सज़ा को सशर्त निलंबित कर दिया था. लोकसभा सचिवालय ने एक सांसद के रूप में कुछ शर्तों के साथ अंसारी का दर्जा बहाल कर दिया है. वह सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं डाल सकते या भत्ते प्राप्त नहीं कर सकते.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर साल 2021 में अपराध की 2,108 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2022 में 45 प्रतिशत बढ़कर 3,065 हो गईं और 2021 की तुलना में 105 प्रतिशत की आश्चर्यजनक बढ़ोतरी की साथ 30 नवंबर 2023 तक इनकी संख्या बढ़कर 4,342 हो गई थीं.
मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के एक गांव से बीते 10 जनवरी को मेईतेई समुदाय के चार लोगों के लापता हो गए थे. इनमें से तीन लोगों के शव मिलने के बाद चौथे व्यक्ति की तलाश की जा रही है. 3 मई 2023 को राज्य में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि असम समान नागरिक संहिता को लागू करेगा, लेकिन इसका स्वरूप अन्य भाजपा शासित राज्यों में अमल में लाए जा रहे मॉडल से अलग होगा. इसमें कुछ संशोधनों के साथ आदिवासी समुदाय को छूट दी जाएगी.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोज़गारी दर जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही के 43.65 प्रतिशत से बढ़कर 44.49 प्रतिशत हो गई. वहीं, 25-29 आयु वर्ग के लिए यह 14.33 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 13.35 प्रतिशत थी.
22 जनवरी को होने वाले अयोध्या के राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले संत समाज का एक वर्ग क्यों रुष्ट हो गया है?
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
एक हिंदुत्व समर्थक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चारों शंकराचार्य राजनीतिकरण, उचित सम्मान न मिलने और समयपूर्व किए जा रहे प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर नाराज़ हैं. इसके अनुसार, शंकराचार्यों का कहना है कि राम मंदिर के निर्माण को क्रियान्वित करने के बावजूद सरकार ‘राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू भावनाओं का शोषण कर रही है’.