लोकसभा चुनाव 2024
→लोकप्रिय
वीडियो
→भारत
→सभी ख़बरें
बीते हफ्ते इंफाल में दो मेईतेई वकीलों के घर पर सैकड़ों लोगों की एक भीड़ ने हमला किया. ये दोनों वकील कुकी समुदाय से आने वाले हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग के ख़िलाफ़ द वायर को दिए एक इंटरव्यू के संबंध में दर्ज मामले को देख रहे थे. अब उन्होंने इस केस से नाम वापस ले लिया है.
घोसी उपचुनाव सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफ़े के कारण हो रहा है. चौहान उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी हैं. सपा ने यहां से दो बार विधायक रहे सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है. ग़रीबों के लिए काम और विकास की दुहाई, हिंदुत्व और बुलडोज़र की शौर्यगाथा पर दलबदलू और बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे ने भाजपा की लड़ाई को कठिन बना दिया है.
तेलंगाना के मांचेरियल ज़िले का मामला. एक बकरी और लोहे की पाइप चुराने के संदेह में एक व्यक्ति और उसके परिवार ने एक दलित शख़्स को कथित रूप से उल्टा लटकाकर लाठी-डंडों से पीटा और फर्श पर आग जला दी थी.
वीडियो: हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में समूह के प्रमोटर भी विदेश में पैसा भेजकर इसके स्टॉक में हेराफेरी और स्टॉक कीमत बढ़ाने का फ्रॉड कर रहे हैं. अब खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह की ऑफशोर फंडिग को लेकर प्रमोटरों के नाम का ख़ुलासा किया है.
जन्मदिन विशेष: भारतीयों के लिए स्वराज या स्वशासन की मांग उठाने वाले पहले नेता दादाभाई नौरोजी का व्यक्तित्व व कृतित्व गवाह हैं कि कैसे प्रगतिशील राजनीतिक शक्ति इतिहास के काले अध्यायों में भी एक रोशनी की किरण की तरह होती है.
स्मृति शेष: इरतिज़ा निशात नहीं रहे. बे-ज़बानों की शायरी करने वाले इस शायर ने ख़ुशहाली से ज़्यादा संघर्ष के दिन गुज़ारे और एक तरह की गुमनामी ओढ़कर दुनिया से चले गए. अब शायद इनको सच्ची श्रद्धांजलि यही हो कि इनकी शायरी किसी तरह उर्दू-हिंदी के पाठकों तक पहुंचे.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पिछले महीने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. टीम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर सरकार द्वारा इंटरनेट बैन का पत्रकारिता पर हानिकारक प्रभाव पड़ा, क्योंकि बिना किसी संचार के एकत्र की गईं स्थानीय ख़बरें स्थिति का संतुलित दृष्टिकोण देने के लिए पर्याप्त नहीं थीं.
कश्मीर में पत्रकारों और रिपोर्टिंग की स्थिति पर बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में घाटी के कुछ पत्रकारों और संपादकों से बातचीत की है, जिन्होंने बताया है कि घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर अधिकारियों द्वारा बनाए गए ‘डर और धमकी’ के माहौल के कारण वे ‘घुटन’ महसूस करते रहे हैं.
असम राइफल्स के महानिदेशक (डीजी) लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा है कि हमने इतिहास में कभी भी इस तरह की किसी स्थिति का सामना नहीं किया है. नागरिकों के पास ‘बड़ी संख्या में हथियार’ चिंता का एक प्रमुख विषय है. जब तक ये हथियार किसी भी तरह से वापस नहीं आ जाते, ये चुनौती सबसे बड़ी रहेगी.