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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,30,36,928 हो गई है और अब तक इस महामारी के कारण 5,21,710 लोग जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण के 49.97 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं और 61.81 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
गुजरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी. एक दिन बाद फिर दो समुदायों के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव किया. हिंसा को लेकर तीन मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं, झारखंड के लोहरदगा ज़िले में रामनवमी के अवसर पर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है.
गुजरात के हिम्मतनगर और खंभात शहरों में रविवार को रामनवमी के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक झड़प हो गई. मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में जुलूस पर पथराव, कुछ वाहनों और घरों में आगजनी की घटनाओं के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया. झारखंड के लोहरदगा ज़िले में पथराव और हमले में दर्जनों लोग घायल हो गए हैं और बंगाल में भी हावड़ा के शिबपुर इलाके में झड़प की ख़बर है.
वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.
कैग ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की पहली ऑडिट रिपोर्ट में 2014-15 से 2018-19 के बीच यूआईडीएआई के कामकाज की जांच की है. इसने अपनी रिपोर्ट में उन पांच बिंदुओं को जगह दी है, जिन्हें लेकर यूआईडीएआई पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं.
पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ को संसद ने निर्विरोध रूप से पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री चुना. 1947 में अपने गठन के बाद से देश कई शासन परिवर्तन और सैन्य तख़्तापलट के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. वहां किसी भी प्रधानमंत्री ने अब तक पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त द्वारा रविवार को अपने पोर्टल पर अपडेट की गई जानकारी के मुताबिक़, 24 फरवरी से अब तक 45.04 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं.
मेलबर्न विश्वविद्यालय के ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टिट्यूट के 13 शिक्षाविदों ने कुलपति को भेजे एक पत्र में आरोप लगाया था कि भारतीय उच्चायोग लगातार संस्थान के कामकाज और शोध में हस्तक्षेप कर रहा है. जो विचार भारत सरकार की छवि के अनुरूप नहीं होते हैं, उन्हें प्रोपेगैंडा के तहत लगातार ख़ारिज किया जा रहा है.
केंद्र के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के निर्णय के ख़िलाफ़ पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट की तरह यह भी विविध स्कूली शिक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर देगा और छात्रों को प्रवेश परीक्षा के अंकों में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बना देगा.