लोकसभा चुनाव 2024
→लोकप्रिय
वीडियो
→भारत
→सभी ख़बरें
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
‘गेम्स 24x7’ और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा जारी किए रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान की राजधानी जयपुर तस्करी के शिकार बच्चों के लिए प्रमुख स्थलों में से एक बनकर उभरा है. इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली ज़िले हैं. शीर्ष 10 जिलों की सूची में राष्ट्रीय राजधानी के पांच ज़िले शामिल हैं.
हिंसा प्रभावित मणिपुर के दौरे पर गए विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे बीते क़रीब तीन महीनों से बदहाल राज्य की क़ानून और व्यवस्था की स्थिति केंद्र को बताएं ताकि वह शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करे.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुकी जनजाति की दो महिलाओं की याचिका भी शामिल थी, जिन्हें पुरुषों की भीड़ ने नग्न करके घुमाया था. पीठ ने सरकार से पूछा कि घटना 4 मई की थी और ज़ीरो एफ़आईआर 18 मई को दर्ज हुई. पुलिस को इसे दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे?
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) तैयार करने वाले इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक केएस जेम्स को निलंबित किए जाने पर विपक्ष ने कहा है कि सरकार वास्तविक डेटा सामने आने से डरती है और जेम्स को 'बलि का बकरा' बनाया गया है.
जम्मू कश्मीर के प्रशासन द्वारा जारी वर्तमान आदेश की तरह ही पिछले वर्ष भी यहां स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहा गया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
पिछले हफ्ते आईआईटी बॉम्बे के हॉस्टल 12 की कैंटीन की दीवारों पर ‘केवल शाकाहारियों को यहां बैठने की अनुमति है’ वाले पोस्टर लगाए गए थे, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी. इसे लेकर छात्रों ने भोजन के आधार पर भेदभाव बरतने का मुद्दा उठाया है.
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक कॉन्स्टेबल ने महाराष्ट्र के पालघर रेलवे स्टेशन के पास एक चलती ट्रेन में अपने एस्कॉर्ट ड्यूटी प्रभारी एएसआई समेत चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. आरोपी की पहचान चेतन कुमार के रूप में हुई है, जिसे गिरफ़्तार कर लिया गया है.
आज की संवेदनशीलता में प्रेमचंद के साहित्य में वर्णित स्त्रियां निश्चित रूप से परंपरा या पितृसत्ता के हाथों अपने अस्तित्व को मिटाती हुई नज़र आएंगी, पर उनके कथ्य को ऐतिहासिक गतिशीलता में रखकर देखें, तो नज़र आता है कि ये स्त्रियां अपने समय की परिधि, अपनी भूमिका को विस्तृत करती हैं, ऐसे समय में जब ये परिधियां अत्यंत संकरी थीं.